मोटिवेशनल शायरी ...2017

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 डर मुझे भी लगा फांसला देख कर....!!!
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर....!!!
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई....!!!

मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर ....!!!

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सूरज बन कोई

खुद को जला दे तभी रोशनी मिलेगी तुझे
वरना क्या पता इन अन्धेरो में रक्खा क्या है़?
तू हंसे तो दुनिया हंसे....!!!
वरना अकेले मुस्कुराने में रक्खा क्या है?
बनना है तो सूरज बन कोई और
सितारा बनने में रक्खा क्या है....!!!....!!!....!!!....!!!


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उम्मीद जिन्दा रख

ज़मीर ज़िंदा रख....!!!
कबीर ज़िंदा रख....!!!
सुल्तान भी बन जाए तो....!!!
दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख....!!!
हौसले के तरकश में....!!!
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख....!!!
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ....!!!
मगर फिर से जीतने की वो उम्मीद जिन्दा रख....!!!
बहना हो तो बेशक बह जा....!!!
मगर सागर मे मिलने की वो चाह जिन्दा रख....!!!
मिटता हो तो आज मिट जा इंसान....!!!
मगर मिटने के बाद भी इंसानियत जिन्दा रख....!!!


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जिंदगी तुझसे हर कदम

जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय....!!!
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाए....!!!
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ऐ जिंदगी....!!!
तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ही लिया जाए....!!!

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जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना....!!!
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते....!!!
ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी....!!!
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते....!!!

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