Charakya ...

 अपमानित होकर जीने से अच्छा मरना बेहतर है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है...!!! लेकिन अपमान प्रति दिन व्यक्ति के जीवन में दुःख लाता है....??

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जिस व्यक्ति के बारे में हम सोचते हैं...!!! वह निकट होता है...!!! वास्तव में भले ही वह बहुत दूर ही क्यों न हो...?? लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वह निकट होते हुए भी हमसे बहुत दूर होता है.


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जिसका ज्ञान सिर्फ किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े में है...!!! वह ज़रुरत पड़ने पर न अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है न ही धन का.


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पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है...?? सत्य की शक्ति सूरज को चमक और हवा को वेग देती है...?? दरअसल सारी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं.



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हे बुद्धिमान मनुष्यों! अपना धन उसी को दो जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जल हमेशा मीठा होता है.


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अगर किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है? अगर व्यक्ति के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और आभूषण की क्या आवश्यकता है...


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संतुलित दिमाग सदृश कोई सादगी नहीं...!!! संतोष जैसा कोई सुख नहीं...!!! लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं...!!! और दया जैसा कोई पुण्य नहीं.


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सेवक को सेवा निवृत्ति के बाद...!!! रिश्तेदार को किसी मुश्किल समय में...!!! मित्र को संकट में...!!! और पत्नी को घोर विपत्ति में परखिए.


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किसी काम की आरम्भ करते समय असफलता से मत डरें और उस काम को न छोड़ें.जो लोग इमानदारी से काम करते हैं वे सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं....??


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कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जिनकी हैसियत कम या ज्यादा हो. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी..???
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