Hindi शायरी शेयर करें २०१७..

अपनी बेबसी पर आज रोना आया हैं !
दूसरों को क्या मैंने खुद को आजमाया हैं !!
हर एक की तनहाई दूर की हैं मैंने...!
पर खुद को हर मोर पे तनहा पाया हैं !!

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आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा

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अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे 
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे

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रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ, फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

किस-किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ

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काश दिल मे इतनी गहराई ना होती
छुपाने को दिल मे कोई बात ना होती
गर समझ जाता सामने वाला आपकी वफा को
तो दुनिया मे किसी के साथ तन्हाई ना होती॥

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देख तो दिल कि जां से उठता है
ये धुआं सा कहाँ से उठता है
यूं उठे आह उस गली से हम
जैसे कोई जहाँ से उठता है

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उलझी रात को पाने की जिद ना करो 
जो ना हो अपना उसे अपनाने की जिद ना करो !
इस समंदर मे तूफान बहुत आते है
इसके साहिल पर घर बनाने की जिद ना करो !!

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बाज़ीचा-ए-अतफाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
इमां मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है क़लीसा मेरे आगे
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
ये देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे

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किसी की उम्मीद मे वो ऐसे खोये थे
पलको से पता चला वो रात भर रोये थे !
धीमी सी आहट से उनके करीब जाना चाहा
जाने क्यो लगा वो हमेँ याद करते करते सोये थे !!

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चांद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शब् -ए -तनहाई का

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ये चमनज़ार, ये जमना का किनारा, ये महल
ये मुनक्*क़श दरोदीवार, ये मेहराब, ये ताक़
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा लेकर
हम ग़रीबों की मुहब्*बत का उड़ाया है मज़ाक़

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इक यही सोज़-ए-निहाँ कुल मेरा सरमाया है
दोस्तों मैं किसे ये सोज़-ए-निहाँ नज़र करूं
कोइ क़ातिल सर-ए-मक़्तल नज़र आता ही नहीं
किस को दिल नज़र करूँ और किसे जाँ नज़र करूँ?

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प्यार किया तो बदनाम हो गये
चर्चे हमारे सरेआम हो गये !
जालिम ने दिल भी उसी वक्त तोड़ा
जब हम उसके प्यार के गुलाम हो गये !!

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तुम भी महबूब मेरे तुम भी हो दिलदार मेरे
आशना मुझ से मगर तुम भी नहीं तुम भी नहीं
ख़त्म है तुम पे मसीहानफ़सी चारागरी
महरम -ए-दर्द-ए-जिगर तुम भी नहीं तुम भी नहीं

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अपनी लाश आप उठाना कोई आसान नहीं
दस्त-ओ-बाज़ू मेरे नाकारा हुए जाते हैं
जिन से हर दौर में चमकी है तुम्हारी दहलीज़
आज सजदे वही आवारा हुए जाते हैँ

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दूर मंज़िल थी मगर ऐसी भी कुछ दूर न थी
लेके फिरती रही रास्ते ही में वहशत मुझ को
एक ज़ख़्म ऐसा न खाया के बहार आ जाती
दार तक लेके गया शौक़-ए-शहादत मुझ को

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राह में टूट गये पाँव तो मालूम हुआ
जुज़ मेरे और मेरा रहनुमा कोई नहीं
एक के बाद ख़ुदा एक चला आता था
कह दिया अक़्ल ने तंग आके 'ख़ुदा कोई नहीं'

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जो दगा दे उसे यार नही कहते 
जो खुशी ना दे उसे बहार नही कहते !
बस एक बार धड़कता है दिल किसी के लिये 
जो दोबारा हो उसे प्यार नही कहते !!

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गझल के साझ उठाओ बडी उदास है रात
पयाम-ए-दिल सुनाओ बडी उदास है रात

किसी खंडहर में कहीं कुछ दिये हैं टूटे हुए
इन्हीं से काम चलाओ बडी उदास है रात

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कहने वाले दो मिसरों में सारा किस्सा कहते हैं
नाच नहीं जिनको आता वो आँगन टेढ़ा कहते हैं

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सियासत किस हुनर मंदी से सच्चाई छुपाती है
कि जैसे सिसकियों के ज़ख्म शहनाई छुपाती है

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खुली छतों के दिये कब के बुझ गये होते
कोई तो है, जो हवाओं के पर कतरता है

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मेरे वजूद से लिपटी खुशबू तेरे नाम की हैं !
मेरी हर धड़कन तेरे नाम की हैं !!
इतना यकीन करले एय मेरे हम नाशी....!
बिन तेरे मेरी जिंदगी बेनाम सी हैं !

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आरजू में आपके दीवाना हो गए !
आपको दोस्त बनाते - बनाते बेगाना हो गए !!
करले एक बार याद इस नाचीज को....!
क्योकि हिचकियाँ आए ज़माना हो गए !!

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रिश्ता उल्फत का यूँ निभाया जाता हैं !
अश्क पि कर भी मुस्कुराया जाता हैं !!
ऐसे भी बोड़ आते हैं जिंदगी में....!
किसी के खातिर खुद को मिटाया जाता हैं !!

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हँसे हम ये किश्मत को गवारा नहीं !
कभी हमारे लिए चमके ऐसी कोई तारा नहीं !!
हर वक्त हम कुछ न कुछ खोते रहे...!
क्योकि हम वो पाना चाहते थे जो हमारा नहीं !!

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यादों में कभी आप भी खोए होंगे !
खुली आँखों से कभी आप भी सोए होंगे !!
माना हमें हैं आदत गम छुपाने की...!
पर हँसते हुए कभी आप भी रोए होंगे !!

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आरजू में आपके दीवाना हो गए !
आपको दोस्त बनाते - बनाते बेगाना हो गए !!
करले एक बार याद इस नाचीज को....!
क्योकि हिचकियाँ आए ज़माना हो गए !!


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उनके चेहरे पे इस कदर नूर था !
उनकी यादों में हमें रोना भी मंज़ूर था !!
बेवफ़ा भी नहीं उसे कह सकते.....!
प्यार तो हमने किया था, वो तो बेक़सूर था !!

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कुछ तो अपने बारे में बताओ !
एक बार तो सपने में आकर सताओ !!
आप जो रिश्ता चाहो बना लेंगे हम...!
कभी हक़ से आप अपना प्यार तो जताओ !!

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आरजू में आपके दीवाना हो गए !
आपको दोस्त बनाते - बनाते बेगाना हो गए !!
करले एक बार याद इस नाचीज को....!
क्योकि हिचकियाँ आए ज़माना हो गए !!


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अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता!
तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता!
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का!
वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!

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ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,

वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं |

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कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,

तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको |

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गुनाह करके सज़ा से डरते हैं,
जहर पी के दवा से डरते हैं,

दुश्मनों के सितम का खौफ नहीं,
हम तो दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं |

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जिंदगी देने वाले , मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,

जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये|

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गये दिनों का सुराग लेकर किधर से आया किधर गया वो,
अजीब मानुस अजनबी था , हमें तो हैरान कर गया वो,
वो हिज्र की रात का सितारा ,वो हमनफस हमसुखन हमारा,
सदा रहे जिसका नाम प्यारा ,सुना है कल रात शहर छोड़ ये वो|

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सागर को छुआ तो लहरों की याद आई !
आसमान को छुआ तो तारों की याद आई !!
काँटों को छुआ तो फूलों की याद आई !
अपने दिल को छुआ तो सिर्फ आपकी याद आई !!

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वो मेरी चाहत को यूँ आजमाते रहे !
गैरों से मिल के दिल को जलाते रहे !!
मेरी मौत के बाद भी जालिम को न आया रहम !
ला कर फूल मेरे बाजू वाली कब्र पर चढ़ाते रहे !!

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नन्हें से दिल में अरमान कोई रखना !
दुनियाँ की भीड़ में पहचान कोई रखना !!
अच्छा नहीं लगता जब रहते हो उदाश..!
इन होठों पे सदा मुस्कान वही रखना !!

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न वफ़ा न दगा कर पाए !
न प्यार न खता कर पाए !!
मोहब्बत कर तो ली हमने उनसे !
पर कभी अपना हाल उनसे बया न कर पाए !!

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जिंदगी एक अभिलाषा हैं !
क्या गजब इसकी परिभाषा हैं !!
जिंदगी क्या हैं मत पूछो आए दोस्तों..!
सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !

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ऐसा वादा न करना जो निभा न सको !
उस से दिल मत लगाना जिसे अपना बना न सको !!
दोस्ती सब से करना मगर....!
उस एक को खुश रखना जिसके बिना आप मुस्कुरा न सको !!

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निकले कोई अगर दिल में बस जाने के बाद !
दर्द होता हैं उनसे बिछर जाने के बाद....!!
पास होता हैं जो उसकी कदर नहीं होती !
कमी महसूस होती हैं उसके दूर जाने के बाद !!

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तेरे दिल में मेरे लिए जगह न सही !
मुझे खुद से दूर तो न कर.....!!
मुझे जिनी हैं ये जिंदगी तेरे संग !
मुझे मरने के लिए मजबूर तो न कर !!

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कहाँ से लाऊ हुनर उनको मनाने का !
कोई जबाब नहीं था उनके रूठ जाने का !!
मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी...!
क्योकि जुर्म मैंने किया हैं उनसे दिल लगाने का !!

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दोस्ती शायद जिंदगी होती हैं !
जो हर दिल में बसी होती हैं !!
वैसे तो जी लेते हैं हर कोई अकेले !
मगर फिर भी जरुरत आपकी हमें हमेशा होती हैं !!

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प्यार करे उसे कोई माफ नहीं करता !
कोई उनके साथ इंसाफ नहीं करता...!!
लोग प्यार को तो पाप कहते हैं !
पर कौन ऐसा हैं जो ये पाप नहीं करता !!

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हँस कर जीना दस्तूर हैं जिंदगी का !
एक यही खिस्सा मशहूर हैं जिंदगी का !!
बीते हुए पल कभी लौट के नहीं आते...!
यही सब से बरा कसूर हैं जिंदगी का !!

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अगर दुश्मन करे आग़ाज़, हम अंजाम लिख देंगे
लहू के रंग से इतिहास में संग्राम लिख देंगे
हमारी ज़िंदगी पर तो वतन का नाम लिखा है
अब अपनी मौत भी अपने वतन के नाम लिख देंगे

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पल - पल उनके साथ निभाते हम !
एक इशारे पर दुनियाँ छोर जाते हम !!
समंदर के बिच में फरेब किया उसने !
वो कहते तो किनारे पे ही डूब जाते हम !!

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अलविदा कह कर जब कोई आँखों से दूर होता हैं !
आँखें देखती हैं पर दिल मजबूर होता होता हैं !!
कोई कहे न कहे ज़ुबान से मगर....!
दिल में दर्द ज़रूर होता हैं !!

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आँसुओं के सागर में दिल डुबोते हुए !
सारी रात गुजर गई हमे रोते हुए !!
मज़ाक कैसा किया तक़दीर ने हमसे...!
उन्हें पा न सके उनके होते हुए !!

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प्यार करके उसका इंतज़ार पाया हैं !
तनहाई में भी उसे हर पल पाया हैं !!
मिल जाए खुदा तो पूछूँगा उनसे...!
क्या तुने हर बार मुझे ही आजमाया हैं !!

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नाराज़ हम से कभी होना मत !
मुस्कान अपनी कभी खोना मत !!
जीते हैं हम आपके मुस्कुराहट देख कर !
अगर हम मर भी जाए तो कभी रोना मत !!

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पिघलती हैं मोम रौशनी के लिए !
होती हैं मोहब्बत दिलवालों के लिए !!
जिंदगी फना हैं आपकी खुशियों के लिए !
कुर्बान हैं हर साँस आपकी जिंदगी के लिए !!

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