(१) मोहब्बत की हद्द है सितारों से आगे,
प्यार का जहाँ है बहारों से आगे,
वो दीवानों की कश्ती जब बहने लगी,
तो बहते बह गई किनारों से आगे।
(२) मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है,
दर्द-ए-दिल होता है, दर्द-ए-जिगर होता है,
बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं,
खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
(३) न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं,
न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं,
यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन,
फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं।
(४) कहते हैं लोग खुदा की इबादत है,
ये मेरी समझ में तो एक जहालत है,
चैन न आए दिल को, रात जाग के गुजरे,
जरा बताओ दोस्तों क्या यही मोहब्बत है।
(५) देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी।
(१) अगर कुछ सीखना ही है,
तो आँखों को पढ़ना सीख लो,
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो,
हजारों निकाल लेते है।
(२) मैंने कोशिश के बाद उसे भुला दिया,
उसकी यादों को सीने से मिटा दिया,
एक दिन फिर उसका पैगाम आया,
लिखा था मुझे भूल जाओ और,
मुझे हर लम्हा फिर याद दिला दिया।
(३) रुलाना हर किसी को आता है,
हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो सच्चा यार है,
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही सच्चा प्यार है।
(४) तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में,
सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में,
एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा,
फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में।
(५) नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है,
पलके उठे तो इज़हार हो जाता हैं,
ना जाने क्या कशिश हैं चाहत में,
कि कोई अनजान भी हमारी,
जिंदगी का हक़दार हो जाता है।
प्यार का जहाँ है बहारों से आगे,
वो दीवानों की कश्ती जब बहने लगी,
तो बहते बह गई किनारों से आगे।
(२) मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है,
दर्द-ए-दिल होता है, दर्द-ए-जिगर होता है,
बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं,
खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
(३) न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं,
न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं,
यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन,
फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं।
(४) कहते हैं लोग खुदा की इबादत है,
ये मेरी समझ में तो एक जहालत है,
चैन न आए दिल को, रात जाग के गुजरे,
जरा बताओ दोस्तों क्या यही मोहब्बत है।
(५) देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी।
(१) अगर कुछ सीखना ही है,
तो आँखों को पढ़ना सीख लो,
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो,
हजारों निकाल लेते है।
(२) मैंने कोशिश के बाद उसे भुला दिया,
उसकी यादों को सीने से मिटा दिया,
एक दिन फिर उसका पैगाम आया,
लिखा था मुझे भूल जाओ और,
मुझे हर लम्हा फिर याद दिला दिया।
(३) रुलाना हर किसी को आता है,
हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो सच्चा यार है,
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही सच्चा प्यार है।
(४) तन्हा था इस दुनिया की भीड़ में,
सोचा था कोई नहीं है मेरी तक़दीर में,
एक दिन फिर तुमने थाम लिया हाथ मेरा,
फिर लगा कि बहुत ख़ास था इस हाथ की लकीर में।
(५) नज़रे मिले तो प्यार हो जाता है,
पलके उठे तो इज़हार हो जाता हैं,
ना जाने क्या कशिश हैं चाहत में,
कि कोई अनजान भी हमारी,
जिंदगी का हक़दार हो जाता है।
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